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बिना NET और PhD के बनें कुलपति और प्रोफेसर! UGC के नए नियमों ने खोले दरवाजे!

बिना नेट-पीएचडी के भी बन सकते हैं कुलपति और प्रोफेसर, जानें UGC के नए नियम 2025

UGC New Regulations 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हाल ही में विनियम 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है, जो भारतीय उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव लेकर आया है। नए नियमों के तहत अब गैर-शैक्षणिक क्षेत्र के विशेषज्ञ भी विश्वविद्यालयों में कुलपति बन सकेंगे। साथ ही, नेट (NET) और पीएचडी (PhD) के बिना भी उम्मीदवार प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हो सकते हैं। आइए इन नियमों को विस्तार से समझते हैं।

 

कौन बन सकता है कुलपति?

यूजीसी के नए नियमों के अनुसार, विश्वविद्यालय में कुलपति बनने के लिए अब केवल शैक्षणिक योग्यता ही आवश्यक नहीं है।

  • गैर-अकादमिक विशेषज्ञ: अब इंडस्ट्री, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक पॉलिसी, और पब्लिक सेक्टर यूनिट (PSU) से जुड़े लोग भी कुलपति बन सकते हैं।
  • आयु सीमा: कुलपति बनने की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होगी।
  • अनुभव: उच्च शिक्षा संस्थानों में 10 साल का अनुभव रखने वाले व्यक्ति भी वाइस चांसलर बनने के योग्य होंगे।
  • पद का कार्यकाल: एक व्यक्ति अधिकतम दो टर्म (कार्यकाल) तक कुलपति के पद पर रह सकता है।

पहले, कुलपति बनने के लिए अकादमिक क्षेत्र में शिक्षण और शोध का अनुभव अनिवार्य होता था, लेकिन यह बाध्यता अब खत्म कर दी गई है।

 

बिना नेट और पीएचडी के भी बन सकते हैं प्रोफेसर

यूजीसी की प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना के तहत अब बिना नेट या पीएचडी डिग्री वाले उम्मीदवार भी प्रोफेसर बन सकते हैं।

  • योग्यता: इन उम्मीदवारों को उद्योग और व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता होनी चाहिए।
  • कार्यकाल: ये नियुक्तियां अस्थायी होंगी और अधिकतम तीन साल की अवधि तक मान्य रहेंगी।
  • पद सीमा: कुल पदों में से 10% पद ऐसे प्रोफेसरों के लिए आरक्षित होंगे।

 

योग और कला जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ बनेंगे प्रोफेसर

योग, संगीत, मूर्तिकला, और अन्य 8 क्षेत्रों में विशेषज्ञों को अब सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, और प्रोफेसर पदों पर नियुक्त किया जा सकता है।

आवश्यक योग्यता:

  1. असिस्टेंट प्रोफेसर:
    • ग्रेजुएशन की डिग्री।
    • संबंधित क्षेत्र में 5 साल का अनुभव।
    • राज्य या राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार।
  2. एसोसिएट प्रोफेसर:
    • स्नातक डिग्री।
    • 10 साल का संबंधित क्षेत्र में अनुभव।
  3. प्रोफेसर:
    • स्नातक डिग्री।
    • 15 साल का अनुभव।

 

क्यों हैं ये बदलाव महत्वपूर्ण?

  1. गैर-अकादमिक प्रतिभा का योगदान: यह कदम इंडस्ट्री और प्रशासनिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शिक्षा क्षेत्र में लाने की दिशा में बड़ा बदलाव है।
  2. युवाओं के लिए अवसर: इन नियमों से युवा और अनुभवी पेशेवरों को शिक्षा क्षेत्र में अपना करियर बनाने का नया मौका मिलेगा।
  3. उच्च शिक्षा का व्यापक दृष्टिकोण: ये बदलाव शिक्षा क्षेत्र को विविधतापूर्ण और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करेंगे।

 

कैसे करें आवेदन?

UGC द्वारा जारी ड्राफ्ट को उनकी आधिकारिक वेबसाइट ugc.gov.in पर चेक किया जा सकता है। इच्छुक उम्मीदवार ड्राफ्ट को पढ़कर अपनी योग्यता के अनुसार आवेदन कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष 

यूजीसी का यह नया कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लेकर आ सकता है। नए नियम न केवल उच्च शिक्षा को प्रगतिशील बनाएंगे बल्कि इसे उद्योग और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करेंगे।

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